हरिद्वार।
योग एक एेसी विधा है जिसे शिष्य अपने गुरु के चरणों में बैठकर सिखता है। योग का बाजारीकरण नहीं किया जा सकता है। योग में सभी बीमारियों का उपचार समाहित है यह उद्गार देश के जाने—माने योगाचार्य आचार्य कर्मवीर ने गुरुकुल कांगड$ी समविश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित पूर्व स्नातकों के मिलन समारोह में आयोजित बतौर मुख्य अतिथि अपने सम्बोधन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि योग एक गूढ$ विषय है इसकी आत्मा अध्यात्मिक आत्मा है। अत: बिना अध्यात्म से जुडे हम योग को नहीं जान सकते हैं। आचार्य कर्मवीर ने महर्षि पतंजलि के सिद्धान्तों को अपने जीवन में अपनाकर आरोग्य व आध्यात्मिक जीवन का मार्ग प्रशस्त होने का मार्ग बताया। उन्होंने कहा कि महर्षि पतंजलि के सिद्धान्तों में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। वर्तमान दौर में दुनिया में जारी हिंसा का समाधान व महर्षि पतंजलि की विचारधारा पर चलकर ही पाया जा सकता है। उन्होंने लोगों से जीवन में नकारात्मक विचारो को छोड$कर सकारात्मक विचारों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्राणायाम के माध्यम से हम जीवन के नकारात्मक विचारों दूर कर सकते हैं। अपने अनुभव सांझा करते हुए आचार्य कर्मवीर ने कहा कि उन्होंने गुरुकुल में अपने आचार्यों के चरणों में योग में ातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण की है। यहां पर आकर एक नई ऊर्जा का संचार मिलता हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शाी ने कहा कि देश—विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में गुरुकुल के विद्यार्थी अपनी प्रतिभा का परचम फहरा रहे हैं। यह विश्वविद्यालय आप सभी स्नातकों का है तथा आप सभी इसके अपने हैं। गुरुकुल ने विभिन्न क्षेत्रों में विद्वान समाज को दिए हैं। योग के क्षेत्र में आचार्य कर्मवीर जैसे योग के साधक गुरुकुल से निकलकर विश्व में योग की पताका को फहरा रहे हैं। कुलसचिव प्रो. दिनेश चन्द्र भट्ट ने सभी पूर्व स्नातकों का स्वागत किया। इस अवसर पर स्वागत करने वालो में संकायाध्यक्ष प्रो. आरकेएस डागर, योग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेन्द्र कुमार त्यागी, डा. राकेश गिरि, पूर्व स्नातक डा. सुरेश वर्णवाल, डा. पवन कुमार, डा. किरण, डा. नवजयोति सिद्धु ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में प्रियंका उपाध्याय, कृष्णा दग्दी, रेशु चौहान, श्वेता शर्मा, मोनिका आनन्द व प्रगति ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में डा. योगेश्वर दत्त, डा. निष्कर्ष शर्मा, उदित, धर्मेन्द्र बिष्ट, मोहन, जितेन्द्र मोहन, अरूण जोशी एवं जोगेन्द्र इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. ऊ धम सिंह ने किया।